करवा चौथ

 करवा चौथ का व्रत सुहागन महिलाओ के द्वारा किया जाता है यह व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को आता है। इसबार यह व्रत 24 अक्टूंबर 2021 रविवार को मनाया जायेगा। बहुत ही शुभ सयोंग बनाते हुए यह व्रत रोहिणी नक्षत्र में आएगा। रोहिणी नक्षत्र में पूजा होने के कारन यह व्रत शुभता को देने वाला है और रविवार को आने से इस दिन रविवार व्रत का फल भी सुहागन महिलाओ को मिलेगा। 

करवा चौथ का व्रत महिलाए अपने पति की दीर्घ आयु व् आरोग्य  के लिए  निर्जला व्रत करती व् माता से आशीर्वाद प्राप्त करती है। 

करवा चौथ की पूजा विधि ;- इस व्रत में शिव पार्वती गणेश कार्तिकेय व् चंद्रमा की पूजा की जाती है। यह चित्र बाजार में आसानी से मिल जाता है। इस व्रत में एक मिटटी का करवा लेकर उसे ठंडा किया जाता है (पानी में डाल  कर थोड़ी देर रखना ) फिर उसमे साफ शुद्ध पानी भरकर 5 चीजे जैसे पैसे बेर काचरा आंवला मोगरी चवले इनमे से जो भी उपलब्ध हो डाल कर उसे डाका जाता है और एक अन्य करवा लेकर उसमे शक्कर या गेहू भरा जाता है लेकिन कुछ स्थनो पर सिर्फ कुछ मीठा लेकर उसके ऊपर ब्लाउज पीस व् कुछ सुहाग का सामान रखा जाता है। फिर इन माता के सामने पूजा की जाती है कथा करही  जाती है व् चंद्र उदय होने पर चन्द्रमा की पूजा करके अर्ध दिया जाता है। 

कथा (कहानी ) ;-एक  गांव में साहूकार के सात बेटे एक बेटी थी। सेठानी ने सातों बहुओ और बेटी सहित कार्तिक कृष्णा चतुर्थी को करवा चौथ को व्रत किया। उस लड़की के भाई हमेशा अपनी बहिन के साथ ही खाना खाते थे उस दिन भी भाइयो ने बहिन को भोजन के लिए बोला लेकिन बहिन ने बोला की आज मेरा करवा चौथ का व्रत है में चाँद देखा कर ही भोजन करुँगी तब भाइयो ने सोचा बहिन भूखी रहेगी। तब एक भाई ने दिया लिया और एक भाई चलनी ली और पाहड पर चढ़ गए और दिया जलाकर चलनी से ढक कर कहा की बहन चाँद उग गया है अर्ध दे ले और खाना खा ले। तब बहन ने भाभियो से कहा की भाभी चाँद देख लो तो भाभी बोली बाईजी ये चाँद तो तुम्हारे लिए ऊगा है तो तुम ही देख लो हमारा चाँद तो रात में उगेगा। 

बहन ने चाँद  को अर्ध दी और अकेले ही खाना खाने बेठी पहले ही कोर में बाल आगया दूसरे कोर खाने लगी तो उसे ससुराल से बुलावा आ गया कि बीटा बहुत बीमार है तो बहु को भेज दो जल्दी से। 

माँ ने जैसी ही कपडे निकलने के लिए बक्सा खोला तो तीन बार ही काळा सफ़ेद नीला कपडा हाथ में आया। माँ ने एक सोने का सिक्का पल्ले में बांध दिया और कहा की रस्ते में सभी को ढ़ोग देते हुई जाने और जो भी अमर सुहाग का आशीर्वाद दे उसे से सिक्का दे देना  ओर पल्लू में गाँठ बांध लेना। रस्ते में सब औरतों ने आशीष दिया लेकिन किसी ने भी अमर सुहाग का आशीष नहीं दिया। ससुराल के दरवाजे पर पहुंचते ही पलने में सोई जेठुती (जेठ की लड़की ) के पैर छुए तो उसने आशीर्वाद दिया "सीली हो सपूती हो सात पुतो की माँ हो "यह वाक्य सुनते ही उस ने पल्लू से सिक्का निकल कर उसे दिया और पल्लू के गांठ बांध ली। 

अंदर गयी तो पति मरा पड़ा था बहु ने आपने मरे हुए पति को जलने नहीं दिया ओर बोली मेरे लिए एक अलग झोपडी बनवादो और अपने मरे हुए पति के साथ रहने लगी। रोज सासु बची  कूची ठंडी बासी रोटी दासी के साथ भेज देती और कहती मुर्दा सेवनी को जाकर दे आ। थोड़े दिनों बाद माघ की तिल चौथ आयी और बोली "करवा पिला  तू करवा पिला भाइयो की प्यारी करवा ले दिन में चाँद देखनी करवा पिला "अब वो बोली की "हे चौथ माता मेरा उजड़ा हुआ सुहाग तो आप को ही देना है मेरे पति को जिन्दा करना ही पड़ेगा। मुझे मेरी गलती का पश्चाताप है में आपसे माफ़ी मांगती हु। तब चौथ माता बोली  मेरे से बड़ी बैशाख की चौथ आएगी वो तुझे सुहाग देगी। "

इस तरहा बैशाख की चौथ आयी और उसने कहा की भादवे की चौथ तुझे सुहाग देगी। तब कुछ महीने बाद भादुड़ी चौथा आयी तब वो भी वही सुब बाते  कहने लगी तो तब उसने चौथ माता के पैर पकड़ लिए तब चौथ माता ने कहा मेरे ऊपर कार्तिक की चौथ सब से बड़ी है व्ही तुझे से नाराज हुई है अगर तूने उनके पैर छोड़ दिए तो तेरे पति को कोई भी जीवित नहीं कर सकता। 

कार्तिक का महीना आया स्वर्ग से चौथ माता उतरी चौथ माता आकर गुस्से में बोली "भाइयो की बहन करवा ले दिन में चाँद दिखनी करवा ले व्रत भांडणी करवा ले। "साहूकार की बेटी ने माता के पैर पकड़ लिए और विलाप करने लगी हे चौथ माता में नासमझ थी मुझे इतना बड़ा दंड मत देवे। तब चौथ माता बोली -मेरे पैर पकड़ कर क्यों बेथ है। तब वह बोली मेरी बिगड़ी आपको बनानी ही पड़ेगी मुझे सुहाग देना ही पड़ेगा क्योकि आप सब जग की माता है और सब की इच्छा पूरी करने वाली है। तब चौथ माता खुश हुई ओर उसे अमर सुहाग का आशीर्वाद दिया। इतने में उसका पति बैठ हो गया और बोलने लगा मुझे बहुत नींद आयी। वह बोला कि मुझे तो बारह महिने हो गए मुझे तो चौथ माता ने सुहाग दिया है। तब पति बोला कि चौथ माता का विधि विधान से उजमन करो। उधर ननद रोटी देने आयी तो उसने  दो जनो के बोलने की आवाज सुनी तो माँ को जाकर बोली कि भाभी तो पता नहीं किस्से बाटे कर रही है। तब सासू ने जाकर देखा की बहू बेटा दोनों जीम रहे है व् चौपड़ पासा खेल रहे है। देख कर बहुत खुश हुई और पूछने लगी ये कैसे हुआ बहू तो बहु बोली सब मझे मेरी चौथ माता ने दिया है और  सासूजी के पैर छूने लगी  सास  अमर सुहाग की आशीष दी। दूर खड़े हुये पति पत्नी का गठबंधन जुड़ गया और सब चौथ माता का चमत्कार मानने लगे। चौथ माता का व्रत पुरुष की पत्नी बेटे की माँ सभी को करना चहिये। 

हे! चौथ माता जैसे साहूकार की बेटी का सुहाग अमर किया वैसे सभी का करना। कहने सुनने वालो को हुंकारा भरने वालों को सभी को अमर सुहाग देना। बोलो -मंगल करणी दुख हरनी चौथ माता की जय। 

इसके बाद गणपति की कहानी भी कही जाती है।