सन्धि
संधि शब्द की व्युत्पत्ति सम उपसर्ग पूर्वक डूघाञ [धा ] धातु में "उपसर्गे धो: किः "सूत्र के कि प्रत्यय करने पर सन्धि शब्द बना है।
- सन्धि शब्द का अर्थ होता है =मेलनं या मिलना
- सन्धि शब्द में सन्धि "पर सवर्ण "सूत्र से होती है यह अनुस्वार सन्धि का भाग है।
- परिभाषाम -: वर्णानाअतिशय सन्निकर्ष या द्वयोः वर्णयोः मेलनं य परिवर्तनं भवति स सन्धि कथ्यते।
अर्थात वर्णो की अत्यधिक निकटता सन्धि "संहिता" कहलाती है या दो वर्णो के मिलान से जो परिवर्तन होता है उसे सन्धि कहते है। जैसे - विद्या +आलय में आ +आ की अत्यधिक निकटता दिखती है।
- भट्टोजिदीक्षित की "सिद्धान्त कौमुदी "में सन्धि के पाँच भेद बताये है। -: 1 अच् सन्धि 2. हल सन्धि 3. विसर्ग सन्धि 4. प्रकृति भाव सन्धि 5. स्वादि सन्धि
- वरदराज की "लघु सिद्धांत कौमुदी "में सन्धि के तीन भेद है।
1. अच् सन्धि 2. हल सन्धि 3. विसर्ग सन्धि
1. अच् सन्धि - दव्यो: स्वरयो: मेलनं -
दो स्वरों के मिलने पर जो परिवर्तन होता है वह अच् सन्धि कहलाती है। अच् सन्धि का अन्य नाम स्वर सन्धि भी है। स्वरो के स्थान पर अच् आदेश होता है। अच् सन्धि के भेद सात बताये गए है -
1. दीर्घ सन्धि : -: देव +आलय =देवालय:
नयन +अभिराम =नयनाभिरामः
तनु +उर्मि: =तनूर्मि
2. यण सन्धि: :- जनन्याह =जननी +आह
मध्वरि =मधु +अरि
मात्रांश = मातृ +अंश
3. गुण सन्धि: -: देव +इन्द्रः =देवेन्द्रः
ग्रीष्म +ऋतु: =ग्रीष्मर्तुः
गुडाका +ईश: =गुडाकेशः
4. वृद्धि सन्धि: -: मत + एकता =मतेकता
देव + औदार्यं =देवौदार्यं
सा +एषा = सैषा
5. अयादि सन्धि: -: हरे +आगच्छ =हरयागच्छ
गुरो +आदेशः =गुरवादेशः
गै +अकः =गायकः
पौ +अकः =पावकः
6. पररूप सन्धि: -:प्र +एजते =प्रजते
परा + ओषति =परोषति
7. पूर्वरूप सन्धिः -:वने +अपि =वनेअपि
सो + अपि =सोअपि
2. हल सन्धिः -:द्वयोः स्वर व्यजंजनयो: मेलनं।
दो स्वर व्यंजनों के मिलने पर हल सन्धि होती है। हल सन्धि का अन्य नाम व्यंजन संधि कहा गया है व्यंजन सन्धि के आठ प्रकार बताये गए है।
1. श्चुत्य सन्धिः -: सद +जन =सज्जन
कश्चिद +जनाः =कश्चिज्जनाः
2. ष्टुत्व सन्धिः -: रामस + षष्ठ =रामष्षष्ट
अधिष + थाता =अधिष्ठाता
3. जशत्व सन्धिः -: सत + जनः =सद्जन
दिक् + गजः =दिग्गजः
4. अनुस्वार सन्धिः -: सम + दिप: =संदीपः
हरिम + वन्दे =हरिं वन्दे
5. परसवर्ण सन्धिः -: सं + दीप: =सन्दीपः
चं +चल =चञ्चल:
6. अनुनासिक सन्धिः -: जगत +नाथः =जगन्नाथ:
उद +नति; =उन्नति:
7. पूर्वसवर्ण सन्धिः -: वाक् + हरिः =वग्घरि:
उद + हार =उद्धार
8. चर्त्व सन्धिः -: तद + लयः =तल्लयः
उद + लास: =उल्लासः
3. विसर्ग सन्धिः -: विसर्ग य विशेष परिवर्तनं भवति।
विसर्ग से विशेष परिवर्तन जो होते है उन्हें विसर्ग सन्धि कहा जाता है यह चार प्रकार का होता है।
विष्णु: + त्राता =विष्णुत्राता:
बालः + चलति = बालसचलति
शिवस + अचर्य: = शिवोर्च्य
मनस +हर = मनोहर
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